Friday, March 10, 2023

Tally में Ledger को Group कैसे दे - Accounting सीखे हिंदी मे 2023/ National Computer Center Gajraula

 Tally में Ledger को Group कैसे दे - Accounting सीखे हिंदी मे/ National Computer Center Gajraula

Tally में Ledger को Group कैसे दे |


Hello Friends, सबसे पहले मैं आप का स्वागत करता हु। मेरे ब्लॉग पर जिसका नाम है www.nationalcomputercentergajraula.blogspot.com ये तो बात हो गयी मेरे ब्लॉग की अब बात करते हैं। Tally मे Group क्या है और Tally मे Ledger बनाते समय Group का निर्धारण कैसे करे
दोस्तों यदि आप ने Accounting सीखने के लिए Tally software का चयन किया है। तो आप ने बिल्कुल सही किया है। क्योंकि य़ह बहुत ही सरल software है। परन्तु यदि आप ने Tally मे ठीक तरह से इन्फॉर्मेशन नहीं भरी है। तो आप को Tally गलत परिणाम भी दे सकता है। क्योंकि Tally मे हमे ठीक से Ledger बनाना और ठीक से Group का निर्धारण करना, तथा ठीक से item बनाना आदि कार्य करना होता है। नहीं तो Tally से हमे गलत परिणाम भी मिल सकते हैं।
आज हम एक ऐसी ही समस्या के बारे में बात करेगे। जिसके कारण बहुत से नए Tally user का Trading Account, Profit and Loss Account और Balance Sheet का परिणाम ठीक तरह से नहीं आता। और वो समस्या है, Tally मे Ledger बनाते समय Group का निर्धारण गलत कर देना। सबसे पहले हम समझ लेते हैं, की Tally मे Group क्या है।
Tally मे Group क्या है। 
Group जिसे हम हिन्दी मे समुह कहते हैं। एक ही प्रकार के खातों (Ledgers) को एक ही समुह (Group) मे रखा जाता है। अर्थात्‌ Tally मे हम जो भी new Ledger बनाते हैं। उसे कोई ना कोई Group दिया जाता है। और Group का सही निर्धारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
जैसे :- व्यवसाय मे होने वाले सभी अप्रत्यक्ष खर्चों (indirect Expenses) को indirect Expenses Group मे रखा जाता है। यदि हम यहा पर अप्रत्यक्ष खर्चों (indirect Expenses) को Direct Expenses Group दे देगे। तो हमारा Profit & Loss A/c गलत परिणाम देगा। तथा हमारा Profit & Loss का Ratio भी गलत आएगा।
Tally Prime मे E invoice कैसे बनाये।
Tally मे Ledger बनाते समय Under Group का निर्धारण कैसे करे। 
Tally मे जब भी हम कोई Ledger बनाते हैं। तो हमारे सामने चित्र अनुसार एक विंडो दिखाई देती है।


Tally में Ledger को Group कैसे दे |
सबसे पहले हम Party का नाम लिख लेते हैं। फिर बात आती है। की Party को Under Group क्या दिया जाए। अर्थात जिस Party का हम Ledger create कर रहे हैं। उस Party का हमारे व्यवसाय से क्या सम्बन्ध है। ताकी उसे हम एक सही under Group दे सके और Ledger एक सही स्थान पर जा सके।
Note :- Group का निर्धारण करने से पहले सुनिश्चत कर ले कि हमने Ledger को सही Group दिया है। 
अब हम Tally मे उपस्थित सभी List of Groups को एक – एक कर के समझते हैं, की किस under Groups के अंदर किस Ledger को शामिल किया जाता है।.

Tally Prime में Company कैसे बनाये।

1. Bank Accounts :- Bank Accounts Group इस Group में सभी बैंक खातों को शामिल किया जाता है। बैंक लोन अकाउंट को छोड़कर। जैसे :-

IDBI Bank A/c
HDFC Bank A/c
Bank of India A/c
IDFC Bank A/c

2. Bank OCC A/c:- Bank OCC A/c यानि Bank open cash credit A/c इस Group में सभी Bank Loan OCC A/c को शामिल किया जाता है। यदि हमने किसी बैंक से लोन लिया है। तो उस खाते को Bank OCC A/c Group में शामिल किया जायगा। जैसे :-

IDBI Bank Loan A/c
HDFC Bank Loan A/c
Bank of India Loan A/c
IDFC Bank Loan  A/c


3. Bank OD A/c :- Bank OD A/c यानि Bank Overdraft A/c इस Group में सभी Bank Overdraft A/c को शामिल किया जाता है। यदि हमने किसी बैंक में खाते को Overdraft किया है। तो उसे इस Group में शामिल किया जाता हैै। जैसे :-

IDBI Bank OD  A/c
HDFC Bank OD A/c
Bank of India OD A/c
IDFC Bank OD A/c

4. Branch/Divisions :- यदि हमारी कंपनी में बड़े पैमाने पर काम होता है अर्थात हमारी कंपनी नई किसी अन्य क्षेत्र में भी Branch है। और हमें उन ब्रांचो से भी पैसा आता है। तो उस सभी Branch/Divisions से संबधित खातों को Branch/Divisions  Group में रखा जाता है। इस ग्रुप का नेचर Asset होता है।  जैसे :-

xyz Textiles Burhanpur A/c
xyz Textiles Indore A/c
xyz Textiles Bhopal A/c
xyz Textiles Surat A/c 

5. Capital Account :- Capital Account इस Group में Compeny के मालिक के खातों (Ledgers) को शामिल किया जाता है। जैसे :- यदि किसी कंपनी का मालिक Ram है। तो

Ram A/c

6. Cash-in-Hand :- Tally में Cash का Ledger बनाने की जरुरत नहीं होती है। क्योकि Tally में पहले से ही Cash का Account बना होता है। फिर भी कभी – कभी कंपनी द्वारा Petty Cash का खाता बनाया जाता है। जैसे :-
Petty Cash  A/c


7. Current Assets :- Current Assets जिसे हम चालू सम्पत्तिया भी है। यानि वे सभी प्रकार की सम्पत्तियाँ जिसे आसानी से cash मे बदला सकता है। Current Assets कहलाती है। यदि हमने किसी फर्म, कंपनी  या व्यक्ति, को Advance Payment दिया है। तो उस Ledgers को  हम Current Assets Group देगे। जैसे :-

Prepaid Maintenance Expense
Prepaid Rent
Mutual Fund
CGST Credit
SGST Credit
IGST Credit
Prepaid Insurance Charges


8. Current Liabilities :- Current Liabilities जिसे हम चालू दायित्व भी कहते हैं। यदि हमने किसी फर्म, कंपनी या व्यक्ति आदि से कोई Advance Payment या Loan लिया है। तो उस Ledgers को  हम Current Liabilities Group देगे। जैसे :-

All Bill Payable
CGST Payable
SGST Payable 
IGST Payable 


9. Deposits (Asset) :- यदि हमने हमारे व्यवसाय मे यदि कोई investment या कोई fix Deposits किया हो और हमे पता है कि इतने Year बाद हमारा investment पूरा होगा तो हम ऐसे Ledger  को बनाते समय Deposits (Assets) Group  देगे। जैसे :-

Security Deposit
Office Rent Deposit
Electricity Deposit
All Type Deposit ect.


10. Direct Expenses :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय  होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Direct Expenses Group देगे। जैसे :-

Sizing Charges 
Frieght Exp.
Hammali Exp.
Transport Exp. 
Weaving Charges ect.


11. Direct Incomes :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की प्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित हों तो ऐसी आय के Ledger बनाते समय Direct Income Group देगे। जैसे :-

Freight Charges Income
Transport Charges Income
All Income Form Service ect.


12. Duties & Taxes :- व्यवसाय मे सभी प्रकार के Tax से संबंधित खातों (Ledgers) के लिए Duties & Tax Group दिया जाता है। जैसे :-

Input CGST
Input SGST
Input IGST
Input Cess
Output CGST
Output SGST
Output IGST
Output Cess
TDS Payables
Input Vat Tax
Output Vat Tax 
Excise Duty Payable
Service Tax Payable etc.

13. Expenses (Direct) :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Expenses (Direct) Group देगे। जैसे :-

Freight Expenses 
Wages Expenses 
Freight of Production
Carriage Expenses 
Power Expenses ect.


14. Expenses (Indirect) :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई अप्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय से संबंधित नहीं होते है। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Expenses (Indirect) Group देगे। जैसे :-

Legal Expenses/Charges
Salary
Audit Fees
Professional Charges
Fuel Expenses A/c
Telephone charge
Postage & courier Expenses 
Legal charge
Bank charges
Penalty
Interest Expense
Depreciation Expenses
Penalty
Tea & Water Expenses 
All Indirect Expenses ect.


15. Fixed Assets :- व्यवसाय मे उपस्थिति सभी प्रकार की  स्थाई संपत्तियों के Ledgers बनाते समय Fixed Assets Group देगे। ये स्थाई सम्पत्तियाँ व्यवसाय के संचालन मे भी सहायक होती है। जैसे :-

Land
Computer
Printer
Bike 
Laptop ect.


16. Income (Direct) :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की प्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित हों तो ऐसी आय के Ledger बनाते समय Income (Direct) Group देगे। जैसे :-

Freight Charges Income
Transport Charges Income
All Income Form Service ect.

17. Income (Indirect) :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की  अप्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित नहीं होती है। ऐसी आय के Ledger बनाते समय Income (Indirect) Group देगे। जैसे :-

Interest Received
Discount Received ect.

18. Indirect Expenses :- ऐसे खर्च जो व्यवसाय मे वस्तुओं केे खरीदते समय या वस्तुओं के उत्पादन से संबधित नहीं होते हैं। तो  ऐसे खर्चों के Ledgers बनाते समय उन्हें Indirect Expenses Group देगे। जैसे :-

Legal Expenses/Charges
Salary
Audit Fees
Professional Charges
Fuel Expenses A/c
Telephone charge
Postage & courier Expenses 
Legal charge
Bank charges
Penalty
Interest Expense
Depreciation Expenses
Penalty
Tea & Water Expenses 
All Indirect Expenses ect.


19. Indirect Incomes :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की अप्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods)  sale करने से संबंधित नहीं होती है। तो उन सभी आय के Ledgers बनाते  समय Indirect Incomes Group देगे। जैसे :-

Interest Received
Discount Received ect.

20. Investments :- यदि व्यवसाय में हम कोई लंबी अवधि  के लिए निवेश करते है। और हमे  पता ही नहीं होता है कि  इस निवेश से Profit  होगा या Loss होगा।  तो ऐसे  निवेश (Investments) के  खातों (Ledgers) को Investment Group देगे। जैसे :-

Long term investment
Investment in Shares
Mutual Fund 
Short Term Investment ect. 

21. Loans & Advances (Asset) :- यदि हम व्यवसाय मे किसी पार्टी को Advance Payment या Loan देते हैं। तो ऐसे Ledgers को Loans & Advances (Asset) Group देते हैं। जैसे :-

Loan Give to Friends, Relatives and company. ect.


22. Loans (Liability) :- यदि हम व्यवसाय मे किसी पार्टी से Advance Payment या Loan लेते हैं। तो ऐसे Ledgers को Loans (Liability) Group देते हैं। जैसे :-

Loan From Outside Party ect.


23. Provisions :- उन सभी खातों (Ledgers) को Provisions Group देंगेे। जिनका भुगतान हमें भविष्य में करना होता है। जैसे :-

Audit Fees Payable 
TDS Payable 
All Type Payable 


24. Purchases Accounts :- व्यवसाय मेे माल खरीदी (Goods Purchase) के सभी खातों (Ledgers) को Purchase Accounts Group देते हैै। तथा Purchase Return के खातों को भी यही Group दिया जाता हैै। जैसे :-

Purchase Local 
Purchase Interstate
Purchase Local Nil Rated
Purchase Interstate Nil Rated
Purchase (Composition)
Purchase Exempt (Unregistered Dealer)
Purchase Return ect.


25. Reserves & Surplus :- आरक्षितयाँ और अधिशेष से संबधित खातों को Reserves & Surplus Group देंगे। जैसे :- 

General Reserve
All Type Reserve ect.


26. Sales Accounts :- व्यवसाय में जो मॉल (Goods) बेचा जाता है। उन सभी खातों को Sales Accounts Group दिया जाता है। तथा Sales Return के खातों को भी यही Group दिया जाता है। जैसे :-

 Sales Local
 Sales Interstate 
Sales Local Nil Rated
Sales Interstate Nil Rated
Sale To Consumer
Sale Return ect.


27. Secured Loans :- यदि व्यवसाय में हमने ऐसा कोई Loan लिया है। Bank को छोड़कर जिसमे कोई Security रखना होती है। तो उन सभी खातों (Ledgers) को Secured Loan Group देंगे। जैसे :-

Gold Loan
Car Finance Loan 
Bajaj Finance Loan ect.


28. Stock-in-Hand :- व्यवसाय में Stock से संबधित खातों को Stock-in-Hand Group देंगे। जैसे :-

Opening Stock
Closeing Stock ect.

29. Sundry Creditors :- व्यवसाय में जिन व्यक्ति, संस्था,फर्म या कंपनी आदि से हम उधार मॉल (Goods) खरीदते (Purchase) है। तथा जिन पार्टीओ को हमें पैसे देने होते है। उन सभी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी आदि के खातों (Ledgers) को Sundry Creditors Group देते है।


30. Sundry Debtors :- व्यवसाय में जिन व्यक्ति, संस्था,फर्म या कंपनी आदि को  हम उधार मॉल (Goods) बेचते (Sales) है। तथा जिन पार्टीओ को हमें पैसे लेने होते है। उन सभी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी आदि के खातों (Ledgers) को Sundry Debtors Group देते है।

31. Suspense A/c :- यदि व्यवसाय में किसी Party का Payment या Receipt का पता नहीं होता है। तो ऐसे खातों को Suspense A/c Group देते है।

Party Suspense A/c 

32. Unsecured Loans :- व्यवसाय में हमने यदि किसी Friends या रिश्तेदार से लोन लिया हैै। तो उन सभी के खातों को Unsecured Loan Group देंगे। जैसे :-

Loan Give to Friends, Relatives and company Loan ect.
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