Tally में Ledger को Group कैसे दे - Accounting सीखे हिंदी मे/ National Computer Center Gajraula
Tally में Ledger को Group कैसे दे |
Tally Prime में Company कैसे बनाये।
1. Bank Accounts :- Bank Accounts Group इस Group में सभी बैंक खातों को शामिल किया जाता है। बैंक लोन अकाउंट को छोड़कर। जैसे :-
2. Bank OCC A/c:- Bank OCC A/c यानि Bank open cash credit A/c इस Group में सभी Bank Loan OCC A/c को शामिल किया जाता है। यदि हमने किसी बैंक से लोन लिया है। तो उस खाते को Bank OCC A/c Group में शामिल किया जायगा। जैसे :-
3. Bank OD A/c :- Bank OD A/c यानि Bank Overdraft A/c इस Group में सभी Bank Overdraft A/c को शामिल किया जाता है। यदि हमने किसी बैंक में खाते को Overdraft किया है। तो उसे इस Group में शामिल किया जाता हैै। जैसे :-
4. Branch/Divisions :- यदि हमारी कंपनी में बड़े पैमाने पर काम होता है अर्थात हमारी कंपनी नई किसी अन्य क्षेत्र में भी Branch है। और हमें उन ब्रांचो से भी पैसा आता है। तो उस सभी Branch/Divisions से संबधित खातों को Branch/Divisions Group में रखा जाता है। इस ग्रुप का नेचर Asset होता है। जैसे :-
5. Capital Account :- Capital Account इस Group में Compeny के मालिक के खातों (Ledgers) को शामिल किया जाता है। जैसे :- यदि किसी कंपनी का मालिक Ram है। तो
7. Current Assets :- Current Assets जिसे हम चालू सम्पत्तिया भी है। यानि वे सभी प्रकार की सम्पत्तियाँ जिसे आसानी से cash मे बदला सकता है। Current Assets कहलाती है। यदि हमने किसी फर्म, कंपनी या व्यक्ति, को Advance Payment दिया है। तो उस Ledgers को हम Current Assets Group देगे। जैसे :-
8. Current Liabilities :- Current Liabilities जिसे हम चालू दायित्व भी कहते हैं। यदि हमने किसी फर्म, कंपनी या व्यक्ति आदि से कोई Advance Payment या Loan लिया है। तो उस Ledgers को हम Current Liabilities Group देगे। जैसे :-
9. Deposits (Asset) :- यदि हमने हमारे व्यवसाय मे यदि कोई investment या कोई fix Deposits किया हो और हमे पता है कि इतने Year बाद हमारा investment पूरा होगा तो हम ऐसे Ledger को बनाते समय Deposits (Assets) Group देगे। जैसे :-
10. Direct Expenses :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात् ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Direct Expenses Group देगे। जैसे :-
11. Direct Incomes :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की प्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित हों तो ऐसी आय के Ledger बनाते समय Direct Income Group देगे। जैसे :-
12. Duties & Taxes :- व्यवसाय मे सभी प्रकार के Tax से संबंधित खातों (Ledgers) के लिए Duties & Tax Group दिया जाता है। जैसे :-
13. Expenses (Direct) :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात् ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Expenses (Direct) Group देगे। जैसे :-
14. Expenses (Indirect) :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई अप्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात् ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय से संबंधित नहीं होते है। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Expenses (Indirect) Group देगे। जैसे :-
15. Fixed Assets :- व्यवसाय मे उपस्थिति सभी प्रकार की स्थाई संपत्तियों के Ledgers बनाते समय Fixed Assets Group देगे। ये स्थाई सम्पत्तियाँ व्यवसाय के संचालन मे भी सहायक होती है। जैसे :-
16. Income (Direct) :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की प्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित हों तो ऐसी आय के Ledger बनाते समय Income (Direct) Group देगे। जैसे :-
17. Income (Indirect) :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की अप्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित नहीं होती है। ऐसी आय के Ledger बनाते समय Income (Indirect) Group देगे। जैसे :-
18. Indirect Expenses :- ऐसे खर्च जो व्यवसाय मे वस्तुओं केे खरीदते समय या वस्तुओं के उत्पादन से संबधित नहीं होते हैं। तो ऐसे खर्चों के Ledgers बनाते समय उन्हें Indirect Expenses Group देगे। जैसे :-
19. Indirect Incomes :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की अप्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) sale करने से संबंधित नहीं होती है। तो उन सभी आय के Ledgers बनाते समय Indirect Incomes Group देगे। जैसे :-
20. Investments :- यदि व्यवसाय में हम कोई लंबी अवधि के लिए निवेश करते है। और हमे पता ही नहीं होता है कि इस निवेश से Profit होगा या Loss होगा। तो ऐसे निवेश (Investments) के खातों (Ledgers) को Investment Group देगे। जैसे :-
21. Loans & Advances (Asset) :- यदि हम व्यवसाय मे किसी पार्टी को Advance Payment या Loan देते हैं। तो ऐसे Ledgers को Loans & Advances (Asset) Group देते हैं। जैसे :-
22. Loans (Liability) :- यदि हम व्यवसाय मे किसी पार्टी से Advance Payment या Loan लेते हैं। तो ऐसे Ledgers को Loans (Liability) Group देते हैं। जैसे :-
23. Provisions :- उन सभी खातों (Ledgers) को Provisions Group देंगेे। जिनका भुगतान हमें भविष्य में करना होता है। जैसे :-
24. Purchases Accounts :- व्यवसाय मेे माल खरीदी (Goods Purchase) के सभी खातों (Ledgers) को Purchase Accounts Group देते हैै। तथा Purchase Return के खातों को भी यही Group दिया जाता हैै। जैसे :-
25. Reserves & Surplus :- आरक्षितयाँ और अधिशेष से संबधित खातों को Reserves & Surplus Group देंगे। जैसे :-
26. Sales Accounts :- व्यवसाय में जो मॉल (Goods) बेचा जाता है। उन सभी खातों को Sales Accounts Group दिया जाता है। तथा Sales Return के खातों को भी यही Group दिया जाता है। जैसे :-
27. Secured Loans :- यदि व्यवसाय में हमने ऐसा कोई Loan लिया है। Bank को छोड़कर जिसमे कोई Security रखना होती है। तो उन सभी खातों (Ledgers) को Secured Loan Group देंगे। जैसे :-
28. Stock-in-Hand :- व्यवसाय में Stock से संबधित खातों को Stock-in-Hand Group देंगे। जैसे :-
29. Sundry Creditors :- व्यवसाय में जिन व्यक्ति, संस्था,फर्म या कंपनी आदि से हम उधार मॉल (Goods) खरीदते (Purchase) है। तथा जिन पार्टीओ को हमें पैसे देने होते है। उन सभी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी आदि के खातों (Ledgers) को Sundry Creditors Group देते है।
30. Sundry Debtors :- व्यवसाय में जिन व्यक्ति, संस्था,फर्म या कंपनी आदि को हम उधार मॉल (Goods) बेचते (Sales) है। तथा जिन पार्टीओ को हमें पैसे लेने होते है। उन सभी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी आदि के खातों (Ledgers) को Sundry Debtors Group देते है।
31. Suspense A/c :- यदि व्यवसाय में किसी Party का Payment या Receipt का पता नहीं होता है। तो ऐसे खातों को Suspense A/c Group देते है।
32. Unsecured Loans :- व्यवसाय में हमने यदि किसी Friends या रिश्तेदार से लोन लिया हैै। तो उन सभी के खातों को Unsecured Loan Group देंगे। जैसे :-
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